"Krishan to prapt hi hai" "कृष्ण तो प्राप्त ही है "
- Dasabhas DrGiriraj Nangia

- Mar 11, 2019
- 1 min read
कृष्ण तो प्राप्त ही है
एक साधक को कृष्ण को प्राप्त नहीं करना है क्योंकि श्री कृष्ण तो श्री बांके बिहारी के रूप में श्री राधारमण के रूप में श्री राधा वल्लभ के रूप में अपने घर में विराजमान श्री विग्रह के रूप में हमें प्राप्त ही है इन विग्रहों को अरचा अवतार कहा गया है शास्त्र में ।
जिस प्रकार नर रूप में श्रीकृष्ण का अवतार है उसी प्रकार श्री विग्रह रूप में भी यह सभी श्रीकृष्ण का अवतार है, श्रीकृष्ण ही है ।

वैसे भी कृष्ण की प्राप्ति एक साधक का लक्ष्य नहीं है कृष्ण तो कंस को भी प्राप्त हुए थे, दुर्योधन को भी प्राप्त हुए थे, अघासुर बकासुर तमाम दैत्यों को भी दुष्टों को भी प्राप्त हुए थे हमें जो चाहिए वह है श्रीकृष्ण की प्रेममई सेवा उसके लिए अभी से इन अर्चना अवतार श्रीविग्रह अवतार रूपी श्री कृष्ण की सेवा का अभ्यास करना होगा । पंचभौतिक शरीर से इनकी सेवा का अभ्यास करते-करते ही 1 दिन ऐसा आएगा कि हमें चिन्मय शरीर प्राप्त होगा और उस चिन्मय शरीर से हम उस चिन्मय सच्चिदानंद घन भगवान कृष्ण की चरण सेवा को प्राप्त करेंगे । अतः कृष्ण सेवा , कृष्ण की प्रेममई सेवा किसी भी रुप में प्राप्त होती है उस से बड़ी कोई चीज़ नहीं । वही एक साधक का साध्य है ।
समस्त वैष्णव वृंद को दासाभास का प्रणाम ।
।। जय श्री राधे ।।
।। जय निताई ।। लेखक दासाभास डॉ गिरिराज
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